बंद तालों का बदला: - 1 Swati द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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बंद तालों का बदला: - 1

पाँचो दोस्त अमृतसर स्टेशन पर उतर रात साढ़े दस बजे उतर चुके थे । पेपर के बाद हुई दो चार छुट्टियाँ का मज़ा हमेशा ही किसी ऐसे ही कोई घूमने का प्लान बनाकर लिया करते थे। विपुल और विनय को हमशा ज़िन्दगी में कुछ रोमांचक करने की ख़ोज में लगे रहते तभी उन्होंने बाकि दोस्त प्रखर, सुदेश और निशा जोकि सुदेश की गर्लफ्रेंड थी सबको माउंटआबू चलने के लिए ही कहा था पर प्रखर की ज़िद पर इस बार वाघा बॉर्डर देखने का मन था तो अमृतसर पहुंच गए । प्रखर के पापा भी कारगिल की लड़ाई में शहीद हो गए थे और अब भाई की पोस्टिंग भी कश्मीर में ही थी । इसीलिए उसका सेना के प्रति सम्मान था शायद इस भावना को बयान कर पाना प्रखर के लिए थोड़ा मुश्किल था । अमृतसर पहुंचते ही सीधे अपने बुक किये होटल में पहुँच कर अपने कमरों में आराम करने लगे । तय तो यही हुआ था कि थोड़ा आराम कर घूमने निकला जाए । पर रात के तीन बजे सुदेश और निशा ने तो अपने कमरे में से निकलने से इंकार कर दिया । पर प्रखर विपुल और विनय तीनो पहुँच गए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और साथ में थोड़ी दूर था जलियावाला बाग । गुरूद्वारे में माथा टेक अमृतसर की सुनसान पड़ी सड़कों पर घूमना शुरू किया ।

हालॉकि उनका होटल स्वर्ण मंदिर से बहुत ज़्यादा दूर नहीं था मगर फिरने के लिहाज़ से बस निकल पड़े उन गलियों की तरफ जहॉ आधे से ज़्यादा मकान बंद पड़े थे । एक अज़ीब सा सन्नाटा चारों तरफ़ बिखरा पड़ा था । बंद दरवाजों के तालों पर जंग लग चुका कुछ टूटकर गिरने को पड़े थें । तीनो दोस्त बड़े ध्यान से सभी बंद घरों को देखे जा रहे थे बीच- बीच में विपुल और विनय मज़ाक भी करते थें । "ये तो काफ़ी बड़े घर है पर लगता है कोई सालों से लौटकर नहीं आया विपुल बोला। चल हम कब्ज़ा कर लेते हैं, यार सुदेश और निशा को वेडिंग गिफ्ट में होम स्वीट होम गिफ्ट करेंगे।" कहकर दोनों ज़ोर से हसँने लगें । "अरे! यार मुझे तो भूतिया घर लगते है एक अजीब सी दहशत हो रही है ।" प्रखर बोला । "हो भी सकता है, फिर तो मज़ा आने वाला है इस ट्रिप में।" विपुल ने ताली देकर विनय को कहा । चुपकर यार। चल निकले यहाँ से, होटल पहुँचते है । प्रखर ने कहा

प्रखर तेज़- तेज़ कदमों से चलने लगा । तभी आगे जाकर चाय की दुकान नज़र आई तो विपुल दोनों को ज़बरदस्ती वही ले गया । "भैया तीन कप कड़क चाय पिलाओ तो और यह भी बताओ की यह इतने सारे घर बंद क्यों है ?" विपुल ने चायवाले से पूछा । "वहीं अंग्रेज़ों के ज़माने का जलियावाला कांड बस ऐसे कितने ही घर उजड़ गए । तो क्या कोई नहीं जो इन घरों को संरक्षण दे सके विनय ने पूछा । कौन देगा सरकार' कुछ करती नहीं और इनका कोई बचा नहीं जो थोड़े बहुत किसी के रिश्तेदार बचे थे वे भी बाहर चले गए । अब तो बस ऐसे ही ख़ाली है ।" चाय वाले ने चाय देते हुए कहा । "और आप ? आप कबसे है यहाँ पर ?" प्रखर ने पूछा। "मेरा तो जन्म यही हुआ था चाय बेचना हमारा काम तो बरसो से चला आ रहा है । चाय वाले ने छोटी सी सोती हुई लड़की के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा । तीनों ने चाय वाले को पैसे दिए और आगे बढ़ गए पर पता नहीं क्या सोचकर प्रखर ने पीछे मुड़कर देख लिया । पीछे देखते ही देखते लड़की जाग जाती है और बड़ी होने लगती है और उसका रंग -रूप बदलने लगता है वह उस चाय वाले का हाथ पकड़ती है और चाय वाला भी डरावना हो जाता है एक भयानक आदमी। और दोनों प्रखर को देख मुस्कुराते है। चाय की दुकान गायब। प्रखर को काटो तो खून नहीं वह ज़ोर से चिल्लाया, "विपुल-विनय।"

"क्या हो गया क्यों चिल्ला रहा है" विवेक बोला। "हम यही तो है न"। प्रखर विपुल से बोला यार वह दुकान और वो चाय वाला वो लड़की सब सब .... भूत बन गए। प्रखर बहुत डरा हुआ था । "देख भाई कल सुबह बात करते है बहुत थक चुके है और उस चायवाले की बातें सुनकर मैं समझ सकता हूं कि तेरे दिमाग में क्या चल रहा होगा जो भी है होटल चलते है आराम करते है।" विपुल ने प्रखर को होटल के अंदर खींचते हुए कहा । तीनो होटल के कमरे में पहुंचे अपने कपड़े बदले और बिस्तर पर पड़ गए पर प्रखर बेचैनी से खिड़की से बाहर देख रहा था उसकी आँखों में नींद नहीं थी पर फिर भी थकावट इतनी थी कि वो ज्यादा देर जागने का संघर्ष नहीं कर सका और सो गया।

सुबह के 10 बजे पाँचो होटल से रवाना हुए और रास्ते में विनय कल रात की बात सुदेश और निशा को बताता जा रहा था । सब उसका मज़ाक भी उड़ा रहे थें । पर प्रखर का ध्यान उस दुकान पर ही था जो कल रात दिखी थी। "यह तो बंद पड़ी है"। निशा ने कहा । "हाँ बंद तो है चलो किसी से पूछते है" प्रखर ने कहा। साथ में कुल्फी रेढ़ी वाले से पूछा तो उसने कहा दिन में तो बंद ही रहती है पर छह बजे के बाद कोई खोलता हो तो पता नहीं क्योंकि मैं तभी तक यहाँ होता हूँ। सब यह सुनकर आगे बढ़ गए और प्रखर को भी लगा शायद मन का कोई वहम हो । अब सब फिर गुरूद्वारे में माथा टेक जलियावाला बाग देखने पहुंच गए । चारों तरफ़ शांति और देशभक्ति का प्रतीक यह बाग और उधम सिंह की मूर्ति सब के मन में साहस और श्रद्धा की भावना को मजबूत कर रही थी । जहां सुदेश और निशा सेल्फ़ी खींचने में लगे थे वहीं प्रखर को वही लड़की और चायवाला दिखाई दिए तो उसने चारों को बताया सब उन दोनों के पास पहुँचे । "भैया आप यहाँ पहचाना? कल रात हम चाय पीने आये थे आप यहाँ क्या कर रहे हो ? विपुल ने पूछा हम तो यहाँ आते रहते हैं हमारे सारे अपने यही तो रहते है, रात को चाय का काम। चाय वाले ने अज़ीब और बेहद दर्द भरी आवाज में कहा । वो छोटी लड़की ने चायवाले का हाथ पकड़ा हुआ था ।" आप हमारे साथ फोटो खिचवायेंगे? निशा ने कह। और प्रखर सब की फोटो खींचने लगा । प्रखर ने फोटो खींचते वक़्त यह महसूस किया कि कैमरे में लड़की बड़ी नज़र आती है वह डर गया और कैमरा निशा को दिया निशा ने सेल्फी खींचे और वे चाय वाले को थैंक्यू बोल बाग़ से बाहर आ गए।